प्रत्याशी बाहरी नेताओं के चपेट मे,स्थानीय नेताओं को कर रहे दर किनार,जरासी चुक चारों खाने चित,नाराजगी बनेगा सबसे बडा कारण,
नेपानगर:- नेपा विधानसभा उपचुनाव अपने चरम पर हैं। और कांग्रेस बीजेपी. के बीच काँटे का मुकाबला अंतिम मोड पर आ गया हैं। जहाँ बीजेपी. ने इस उप चुनाव में अपनी पुरी ताकत झोक दी है। और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान अपनी नजर रखे हुवे है। कमजोर प्रत्याशी होने के बाद भी बाजी पलटाने में माहिर शिवराज सिंह चौहान नेपा विधानसभा क्षेत्र में सभाएं लेे रहे है। बीजेपी. के पास दल बदलकर कर आई कमजोर प्रत्याशी होने के बाद भी एक-एक कदम फुक-फुक कर रख रहे है। हालाकी कुछ जगहों पर छुट फुट विरोध का सामना भी करना पड रहा है। मगर इनके कार्यकर्ता बड़ी मशक्कत करते हुवे मतदाताओं को रिझाने की कोशिश में भी लगे हुवे है। चुनावी घमासान में मेैदानी जंग कमजोर ना पडे इस लिये सभाओं का दौर निरंतर जारी है। प्रत्याशी कमजोर है। अंदुरी नाराजगी भी है। मैदान भी जितना जरूरी है। किसी प्रकार की गलती ना हो। और मंजिल इतनी आसान भी नही है। क्योंकि सामने कांग्रेस प्रत्याशी और एक निर्दलीय प्रत्याशी दमदार होने के साथ साथ मजबूत स्तिथि में भी है जरासी चुक चारों खाने चित की स्थिति भी बन सकती है। क्योंकि बाहरी नेताओं का आगे-आगे रहना स्थानीय नेताअें को पीछे-पिछे लाना। सबसे बडी नाराजी का कारण भी बन सकता है। और अंतिम समय में पासा भी पलट सकता है।
कांग्रेस प्रत्याशी भी बाहरी नेताओं के सिकंजे में
स्थानीयों से पड रही है कमजोर डोर,, फिर से ना बन जाए हार का कारण
कांगे्रस में भी गुटबाजी झलकते नजर आ रही है। क्योंकि कांगे्रस प्रत्याशी भी बाहरी नेताओं के सीकंजे में पुरी तराह से आ गये। और इनके द्वारा स्थानीय नेताओं को दर किनार करना भी मंहगा पड सकता है। उपचुनाव के मैदानी जंग में मैदानी खिलाडियों को बाहरी खिलाडियों से इजाज़त लेते रहने के कारण अंदरूनी नाराजगी अब धीरे-धीरे बाहर आने लगी है। जो मतदान तक कही विरोधी ना बन जाये बाहरी नेताओं का हस्तक्षेप स्थानीय नेताओ की नाराजगी विरोध का सबब भी बन सकती है रामकिशन पटेल और कांग्रेस के लिए घातक भी सिद्ध हो सकता है जरा सी चुक और चारो खाने चित का कही तोहफा ना मिल जाए। स्थानीय नेताओं को नजर अंदाज कर देना कही भारी न पड़ जाये जरासी चुक जीती हुई बाजी को तिसरी बार हार में ना बदल दे। और इनका राजनीतिक सफर पर विराम ना लग जाय। क्योंकि सामने वाली पार्टीयों के प्रत्याशी भी दमदार है और मजबूत स्तिथि में भी है। और वह अपनी मंजिल पाने में किसी प्रकार की कमी नही रहने देगे। क्यू की भाजपा भी दमदार है और अपनी मंज़िल पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। और कांग्रेस गुटबाजी के चक्कर में कांग्रेस प्रत्याशी को हार के कगार पर ला खड़ा कर सकती है
निर्दलीय प्रत्याशी भी पुरे दमखम से मैदान में
दोनो प्रत्याशीयों के लिये बन रहे खतरा
इस विधानसभा उपचुनाव में संजय मावस्कर दिल्ली में पढ़े लिखे फाँरेन में अपने कुछ साल बिताये अनुभवी प्रत्याशी है। मिलनसार और सुलझे हुवे भी है। इस समय अपनी पहचान अलग रखते है। और अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ भी रखते है।और दोनों प्रत्याशीयों के मुकाबले अपनी पहचान अलग रखते हैं। मंज़िल पाना इतना आसान नहीं है। फिर भी दोनों पार्टियों के लिए खतरा भी है। क्यू की जनता अब इन्हे पसंद भी करने लगीं है।अगर इनके ट्रेक्टर ने रफ्तार पकड़ ली और अपना जादू दिखा दिया तो सामने वाली कांग्रेस बीजेपी पार्टियों के बने बनाए खेल पर अपना असर डाल सकता है। इनकी मेहनत पर पानी भी फेर सकता है।ज़रा सी चूक और चारो खाने चित ,, की स्तिथि पर भी ला खड़ा कर सकता है। हम तो हारे हैं ए दोस्त तुम्हे भी जितने ना देंगे निर्दलीय उम्मीदवार इस मोड़ पर भी ला खड़ा कर सकते है।